Drive Name और डॉस के वर्जन फिजिकल स्ट्रक्चर ऑफ़ डिस्क हिन्दी इंफॉर्मेशन

 कंप्यूटर में उपयोग की जाने वाली डिस्क और डॉस के वर्जन Drive Name और फिजिकल स्ट्रक्चर ऑफ डिस्क इंफॉर्मेशन आपके साथ साझा की जा रही है।



डॉस के वर्जन:


1. MS DOS 1.0

2. MSDOS2.0

3. MSDOS3.0


इनमें हुये वर्जन में जब भी प्वाइंट के पहले चेंज होता है तो उसे मेजर चेंज कहा जाता है और जब प्वाइंट के बाद चेंज होता है तो उसे माईनर चेंज कहा जाता है।


Physical Structure of Disk:


DOS Operating System Disk के ऊपर चलाया जाता था जैसे फ्लापी डिस्क, हार्ड डिस्क इत्यादि। उस समय डिस्क विभिन्न प्रकार में मिलती थी।


Single Side:-जिसमें कि 40 ट्रेक होते हैं और प्रत्येक ट्रेक में 90 सेक्टर होते हैं। एक सेक्टर 512 बाईट का होता था और इसी जगह पर डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम स्टोर किये जाते हैं। अब डिस्क डबल साईड में भी मिलती है जिसमें दोनों साईड के ट्रेक 80 होते हैं, सेक्टर 180 और बिट्स 1024. इस डिस्क में डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम ज्यादा तेजी से कार्य कर सकता था क्योंकि इसमें मेमोरी स्पेस अधिक होता है।


Drive Name:


कम्प्यूटर के अंदर सभी स्टोरेज डिवाईस को किसी नाम के द्वारा एक्सेस किया जाता है उस नाम को ड्राइव नेम कहते हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि ड्राइव नेम मेमोरी तक पहुँचने का एक साधन है। ड्राइव नेम पहले से डिफाईन है। हार्ड डिस्क को 'सी' ड्राइव के नाम से जाना जाता है। फ्लापी को 'ए' अथवा 'बी' ड्राइव के नाम से जाना जाता है।


FAT [File Allocation Table) :


Fat सभी स्टोरेज डिवाईस के फस्ट सेक्टर में स्टोर होता है। फैट के अंदर फाईल्स के नाम, मेमारी लोकेशन, डाटा टाईम इत्यादि जैसी इनर्कोमेशन लिखी रहती है। जब भी स्टोरेज डिवाईस को एक्सेस करते हैं तो कम्प्यूटर सबसे पहले फैट को रीड करता है। उसमें से फाईल को सर्च करता है और फिर अपने आप सर्च की गई मेमोरी लोकेशन तक पहुँच जाता है।


System File:


MS-DOS. SYS:-इस फाईल के अंदर एम.एस. डॉस सिस्टम की डिटेल्स लिखी रहती है। इसके द्वारा ही एम.एस. डॉस मेमोरी में लोड होती है।


IO. SYS:-यह फाईल कम्प्यूटर की सभी इनपुट और आउटपुट डिवाइस की इनर्कोमेशन को स्टोर रखती है। जैसे डिवाईस के नाम ड्राईव्स इत्यादि। इस फाईल के द्वारा ही कम्प्यूटर इनपुट और आउटपुट डिवाइस को चेक करता है।


कम्प्यूटर के कनफिग्रेशन की इनफर्कोमेशन


Config. Sys:-इस फाईन के अंदर कम्प्यूटर के कनफिग्रेशन की इनफर्कोमेशन स्टोर रहती है। जैसे मेमोरी डिटेल, हार्ड डिस्क, फ्लापी डिस्क मेमोरी इत्यादि इसी फाईल के अंदर कम्प्यूटर की बूटिंग प्रोसेस की कुछ विधि लिखी रहती है।


Command. Com:-यह एम.एस.डॉस की फाईल है। इसके अंदर एम.एस. डॉस की कमाण्ड लिखी रहती हैं। यह फाईल मेमोरी में अपने आप एक्जीक्यूट होती है। जब भी कम्प्यूटर बूट किया जाता है यह फाईल एक्जीक्यूट करती है। इसमें लिखे निर्देशों को स्वतः क्रियान्वित करती है। इसलिए इसका नाम आटो एक्जीक्यूट या स्वतः क्रियान्वयन हेतु रखा गया है।


Booting Process


Booting Process भी अपने आप में एक प्रोग्राम है जिसके द्वारा कम्प्यूटर स्टार्ट होता है यह प्रोग्राम अपने आप रन होता है जब भी हम कम्प्यूटर को स्टार्ट करते हैं। इस प्रोग्राम के अंदर कम्प्यूटर के कार्य करने की विधि लिखी रहती है। कम्प्यूटर स्टार्ट होने पर कौन-कौन से पार्ट को रीड करे और कौन-सी सिस्टम फाईल को कम्प्यूटर की मेमोरी में लोड करे और फिर ऑपरेटिंग सिस्टम को लोड करे जब भी कम्प्यूटर स्टार्ट करते हैं तो सबसे पहले मेमोरी में सिस्टम फाईलें लोड होती हैं।


जैसे-Command. Com, IO. SYS, MSDOS. SYS और Config. Sys इत्यादि।


सिस्टम फाईल लोड होने के पश्चात् ऑपरेटिंग सिस्टम मेमोरी में लोड होता है और फिर वह सिस्टम के एक-एक कम्पोनेंट को रीड करता है। 

Read:- डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है Dos Operating System का उपयोग और हिस्ट्री जाने

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