Generation of Computer: Complex Computing के इतिहास में कम्प्यूटर में प्रयुक्त टेक्नॉलाजी के आधार पांच अलग-अलग जनरेशन में विकसित हुआ है। प्रत्येक कम्प्यूटर में उनके मूलभूत सिद्धांत उनके किसी भाग के नये रूप में विकसित होने पर एक नये जनरेशन की शुरूआत होती है कम्प्यूटर में इंटरनल पार्ट में डेवलप किये गये नये लॉजिकल स्टेटमेंट में निम्न प्रकार के सुधार होते गये
Generation of Computer In Hindi |
1. Increase in working speed
2. Reduction in a cast.
3 Easily under stable.
4. Increase in storage capacity.
5. Reduction in size
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First Generation:
First Generation का कार्यकाल 1946 से 1955 तक था। इस जनरेशन के कम्प्यूटर में मेन टेक्नोलॉजी के रूप में वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया गया था। वैक्यूम ट्यूब बहुत ही जल्दी गरम होने के कारण खराब हो जाते थे। अतः प्रथम जनरेशन के कम्प्यूटर में ए.सी. की जरूरत पड़ती थी।
वैक्यूम ट्यूब की साईज बड़ी होने के कारण इस जनरेशन के कम्प्यूटर आकार में बड़े होते थे। डाटा स्टोरेज के लिए Magnetic ड्रम का उपयोग किया गया इस जनरेशन के कम्प्यूटर में निम्न दो प्रकार की languages का उपयोग किया गया था
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1. Machine (Low level) language.
2. Assembly Language
इस जनरेशन में ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Calculator and EDVAC (Electronic Desist Variable Automatic Computer) का आविष्कार हुआ।
Second Generation:
इस जनरेशन का कार्यकाल 1956 से 1964 तक का है। इस जनरेशन के कम्प्यूटर में मेन टेक्नालॉजी में वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया जो आकार में वैक्यूम ट्यूब की अपेक्षा छोटे होते हैं।
अतः सैकंड जनरेशन के कम्प्यूटर आकार में प्रथम जनरेशन की अपेक्षा छोटे होते थे। इनमे भी गर्म होने की समस्या थी इसलिए यहाँ भी AC की जरुरत पड़ती थी डाटा स्टोरेज के लिए मेगेनेटिक टेप का उपयोग किया गया इस जनरेशन के कम्प्यूटर में निम्न दो प्रकार की लैंगवेजों का उपयोग किया गया था।
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FORTRAN (Formula Translation)
COBOL (Common Business Oriented Language)
Third Generation:
इस जनरेशन का कार्यकाल 1965 से 1975 तक का है। इस जनरेशन के कम्प्यूटर में मुख्य टेक्नालॉजी के लिये ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट का प्रयोग किया गया जिसे कि 1943 में H. Johnson ने Develop किया था।
इस जनरेशन में कंप्यूटर का आकर first जनरेशन की तुलना में बहुत छोटा हो गया था I.C. बहुत कम गर्म होते थे तो A.C. की जरुरत भी कम हो गई थी। इस जनरेशन में डाटा स्टोरेज के लिए हार्ड डिस्क का उपयोग शुरू हुआ इस जनरेशन के कम्प्यूटर में कम्प्यूटर के ऑपरेशन को कंट्रोल करने के लिये ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया था।
इस जनरेशन के कम्प्यूटर में वर्ड प्रोसेसिंग साफ्टवेयर का प्रयोग किया गया जिसे कि साधारण टाईपिंग के लिये तैयार किया गया था। थर्ड जनरेशन के कम्प्यूटर में मिनी कम्प्यूटर का आविष्कार किया गया है।
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Fourth Generation:
Fourth Generation का पीरियड 1976 से 1980 तक का था। इस जनरेशन में कम्प्यूटर ने मुख्य टेक्नालॉजी के रूप में IC' s की जगह Microprocessor तथा Very Large Scale Integrated Circuit VLSI का प्रयोग किया गया। यह आकार में एक इंच के चौथाई भाग के बराबर होता है।
इस जनरेशन के कम्प्यूटर आकार में छोटे तथा बहुत अधिक रिलायबल होते हैं। इन कम्प्यूटरों में हीट जनरेशन लगभग नगण्य होता है जिसके कारण इस जनरेशन के कम्प्यूटर में ए. सी. की जरूरत नहीं होती है।
इस जनरेशन के कम्प्यूटर आकार में छोटे होने के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाये जा सकते हैं। 1.6.5 Fifth Generation:। (1981 to till today) यह कम्प्यूटर का पाँचवा जनरेशन है जो कि वर्तमान में चल रहा है।
इस जनरेशन के कम्प्यूटर में स्वयं सोचने की क्षमता (Artificial Intelligence) पैदा की जा रही है। इस जनरेशन में प्रयोग किये जाने वाली टेक्नालॉजी Very Large Scale Integrated Circuit VLSI तथा Ultra Large Scale Integrated Circuit ULSI है। इस जनरेशन में विभिन्न छोटे साईज के कम्प्यूटर जैसे लैप टॉप, पॉम टॉप आदि आते हैं। इस जनरेशन के कम्प्यूटर में ही इंटरनेट जैसी सुविधाओं का आविष्कार हुआ है।
Classification of Computer: कम्प्यूटर को निम्नलिखित 3 आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
1. Application
2. Purpose
3. Size
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Application के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार
Application के आधार पर कम्प्यूटर 3 प्रकार के होते हैं- (1) Analog Computer (2) Digital Computer (3) Hybrid Computer
1-Analog Computer: Analog Computer ऐसे कम्प्यूटर होते हैं जो फिजिकल यूनिट जैसे प्रेसर, टेम्परेचर, लेंथ को मापकर इनके परिमाप अंकों में व्यक्त करते हैं। ये कम्प्यूटर किसी कन्टेंट का परिमाप कम्प्रेसर के आधार पर करते हैं जैसे एक थर्मामीटर कोई गणना नहीं करता बल्कि यह पारे से सम्बंधित प्रसार की तुलना करके शरीर के तापमान को मापता है। एनालॉग कम्प्यूटर केवल अनुमानित परिमाप ही देते हैं तथा इनकी एक्यूरेसी बहुत कम होती है।
2-Digital Computer: ये कम्प्यूटर ऐसे कम्प्यूटर होते हैं जो डिजिट, शून्य व एक (0.1) पर आधारित होते हैं। डिजिटल कम्प्यूटर डाटा और प्रोग्राम को (0, 1) में परिवर्तित करके उनको इलेक्ट्रानिक रूप में ले आता है। डिजिटल कम्प्यूटर में रिजल्ट कैलकुलेशन के आधार पर प्राप्त होता है तथा इन कम्प्यूटरों की एक्यूरेसी बहुत ज्यादा होती है।
3-Hybrid Computer: Hybrid Computer में एनॉलॉग तथा डिजिटल कम्प्यूटर के गुण पाये जाते हैं। हाईब्रिड का अर्थ होता है अनेक गुणों का मिश्रण। जैसे-कम्प्यूटर की एनालॉग डिवाईस किसी रोगी के तापमान तथा ब्लड प्रेसर को मापती है। ये परिमाप बाद में डिजिटल भाग के द्वारा अंकों में बदल जाते हैं। उदाहरण के लिए जैसे मोडेम का उपयोग इंटरनेट में किया जाता है।
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